एक ट्रैफ़िक पुलिस वाला लोगों को समझा रहा था कि कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे ! कायदे से मर्यादा से ट्रैफ़िक नियमों का पालन करते हुए चलोगे तो फायदे में रहोगे ! कितनी गहरी और सच्ची बात उसने साधारण शब्दों में समझा दी !
हर जगह मर्यादा होनी चाहिये, उठने, बैठने, चलने में, व्यवहार में, आहार– विहार में , सुखी जीवन की यही कुंजी है ! आग चूल्हे के अन्दर रहे तो खाना पकाती है और अमर्यादित होकर बाहर निकल जाए तो घर भी जला सकती है ! बिजली का कायदे से उपयोग किया जाए तो वह हमारी सेवा करती है ! उपकरण चलाती है और वही बिजली शार्ट सर्किट होकर अपनी मर्यादा छोड़ बैठे तो घर में आग भी लग सकती है और बहुत बड़ा नुकसान कर सकती है ! नदी की शोभा दोनो किनारों के बीच बहने में ही है और अगर वही अपनी मर्यादा छोड़कर, किनारों को तोड़कर बाहर आ जाए तो फिर बाढ़ आ जाती है !
संपूर्ण प्रकृति में एक सुन्दर व्यवस्था , एक संतुलन, एक मर्यादा, एक कायदा देखने को मिलता है ! प्रकृति में असंतुलन होते ही फिर बाढ़, भूकंप, अकाल आदि दैवीय प्रकोप आते हैं ! कहने का मतलब यह है कि हर जगह मर्यादा होनी चाहिए ! एक कायदा होना चाहिए ! मर्यादित व्यवहार, मर्यादित स्वभाव, संतुलित आहार– विहार में ही जीवन का सौंदर्य है ! जरा सी लापरवाही करते ही तुरंत सज़ा मिलती है ! जलती आग में हाथ डालिए , बिजली के नंगे तारों को छुईये तो तुरंत फल मिलेगा ! ध्यान रखना चाहिए कि मज़ा कहीं सज़ा न बन जाए ! कायदे में रहने में ही फायदा है ! इसलिए समाज में रहते हुए हमेशा मर्यादित जीवन ही जीना चाहिए जिससे हमारा भला हो और साथ ही साथ समाज का भी भला हो !
——- राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !