मनुष्य शरीर में दोहरे यंत्र हैं, डबल मैकेनिजम हैं और दोहरा यंत्र इसलिए है ताकि इमर्जेंसी में, संकट के किसी क्षण में, एक यंत्र काम न करे तो दूसरा कर सके ! एक यंत्र है जिससे हम परिचित हैं, हमारा शरीर !
आप भोजन करते हैं, शरीर भोजन को पचाता है, खून बनाता है , हड्डियाँ बनाता है , माँस– मज्जा बनाता है ! ये साधारण यंत्र है, लेकिन कभी कोई आदमी जंगल में भटक जाए या सागर में नाव डूब जाए और कई दिनों तक किनारा न मिले तो भोजन नहीं मिलेगा !
तब शरीर के पास एक इमर्जेंसी अरेंजमेंट् है, एक संकटकालीन व्यवस्था है ! तब शरीर को भोजन तो नहीं मिलेगा लेकिन भोजन की जरूरत तो जारी रहेगी , क्यों कि श्वास भी लेना हो, हाथ भी हिलाना हो, जीना भी हो तो भोजन की जरूरत है ! ईंधन की जरूरत है ! आपको ईंधन न मिले तो आपके शरीर के पास एक दूसरा इनर– मैकेनिजम है !
अगर आप सात दिन भूखे रहें तो शरीर अपने को पचाना शुरू कर देता है ! भोजन आपको नहीं ले जाना पड़ता आपके भीतर की चर्बी ही भोजन बननी शुरू हो जाती है ! इसलिए उपवास में आपका एक पौंड वजन रोज गिरता चला जायेगा ! वह एक पौंड, आपकी चर्बी , आप ही पचा गये ! कोई नब्बे दिन तक साधारण स्वस्थ आदमी मरेगा नहीं क्यों कि इतना संग्रहीत तत्व शरीर के पास है कि कम से तीन महीने तक वह अपने को बिना भोजन के जिला सकता है ! ये दो हिस्से हैं शरीर के , एक शरीर की व्यवस्था सामान्य है , दैनंदिन है ! असमय के लिए, संकट की घडी के लिए , एक और व्यवस्था है , जब शरीर बाहर से भोजन न पा सके तो अपने भीतर संग्रहीत भोजन को पचाना शुरू कर दे !
——— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !