जो लोग नौकरी करते हैं, वे तो दबाव में रहते ही हैं ! लेकिन इन दिनों व्यापार करने वाले भी बहुत कठिनाई में हैं ! कई व्यापारी कहते हैं कि कारोबार में शुद्ध ईमानदारी मुश्किल होगी , जबकि ढोल सबसे ज्यादा ईमानदारी का ही पीटा जाता है ! अब तो जो सबसे कम बेईमान है, वही ईमानदार है ! इसीलिए आजकल लोग भी मानसिक रूप से अस्वस्थ नज़र आ रहे हैं !
अपने देश में हर आठ व्यक्ति में से एक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवा की जरूरत पड़ रही है ! यह चिन्ता का विषय है ! हमारी जी डी पी, विकास के माप — दंड जो भी हों , लेकिन बीस करोड़ लोग मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे हैं और इनमें अधिकांश वो लोग हैं , जो धन की आकांक्षा की यात्रा पर निकल पड़े हैं ! पैसा कमाने में कोई बुराई नहीं है , लेकिन पैसा भोग– विलास और बीमारी लाए तो इसमें दिक्कत है ! तो क्यों न ईमानदारी को सत्य के साथ जोड़ा जाए ! हमारे देश में तो सत्य को नारायण के साथ जोड़ा गया है ! इसलिए हम लोग यदि ईश्वर की भक्ति बढ़ाते चलेंगे तो इस तरह की समस्याओं के निदान अपने आप निकलते रहेंगे !
—— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !