मैले कुचैले कपड़े पहने, हाथ में एक झोला लिए 12 साल के लड़के ने एक घर के बाहर आवाज़ लगाई , सेठ जी, ओ सेठ जी ! जब तक सेठ जी ने उससे बात नहीं की , तब तक बार– बार ‘ सेठ जी, सेठ जी ‘ आवाज़ लगाता रहा ! आख़िरकार सेठ जी ने झाल्लकर कहा , क्या है? क्यों चिल्लाये जा रहा है ?
उस लड़के ने बड़ी नम्रता से कहा , सेठ जी, आपके जूते पालिश कर दूँ ? सेठ जी ने कहा, नहीं… कुछ नहीं करवाना है ! पर वह बार– बार आग्रह करता रहा और कहने लगा, सेठ जी , सुबह से दोपहर हो गई है, पर अभी तक बोहनी नहीं हुई है ! आप पॉलिश करवा लो, ताकि उन पैसों से मैं कुछ खा सकूँ !
सेठ जी ने कहा, बूट तो पॉलिश नहीं करवाना है, पर तुझे कुछ खाना हो तो मैं कुछ खाने को जरूर दे सकता हूँ ! लड़के ने कहा, नहीं सेठ जी, मैं मेहनत करके ही खाता हूँ , भले भूखा क्यों न रह जाऊँ, पर मुफ्त में कुछ नहीं लेता हूँ !
उस लड़के की खुद्दारी देख कर सेठ जी आश्चर्यचकित रह गए और उस लड़के से अपने नये– पुराने सारे जूते पॉलिश करा लिए ! उधर मेहनत कर इतने पैसे कमाने से वह लड़का बहुत खुश हुआ ! इधर सेठ जी भी बहुत खुश थे कि उस लड़के ने न भीख मांगी, न खाना मांगा ! मेहनत कर अपना पेट भरा और उन्होंने उसके उसूलों का मान रख लिया ! इसीलिए कहावत है कि ” मेहनत की कमाई, सर्वोत्तम कमाई ” !
——— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !