इशारे बताती हैं ,
आँखों की जुबानी है उनकी कहानी !
अब सुनो भाई, आँखों की कहानी !
हँसती हुई आँखे, मौन होकर
मुस्कराहट लाती हैं चेहरे पर
ये तन के दो जल सागर हैं
गर्म पानी और ठंडा पानी !
दुःख में बहता गर्म पानी
सुख में बहता ठंडा पानी !
दोनों ने कैसे– कैसे मंज़र देखे
एक साथ दुनिया देखी
देख शत्रु, मित्र और साथी
फिर भी हंसती रहती है !
हंसती हुई आँखें मन को
सुकून दे जाती हैं !
इशारे जब वह करती हैं,
प्रेमियों की गवाही बन जाती हैं !
हमारी दोनों आँखें, हर काम हर बात
एक साथ करती हैं,
एकता का प्रतीक बन जाती हैं !
आँखें न हों तो नीरसता है जीवन में
बेजान लागे संसार बिन इसके ,
अपनी पढाई की पहचान हैं आँखें ,
आपस में समाधान हैं आँखें
कौन सा रस पाती हैं जो,
आँखें आँसू बरसाती हैं
फिर भी रहती हैं प्यासी की प्यासी !
जिंदगी के दो जल प्रपात ,
कभी न सूखता इनका पानी
जहाँ भरा है, उम्र भर का पानी !
( संकलित )
—– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !