” हाथ पर आसमान “

लोग  ऊँची  उड़ान  रखते  हैं

हाथ  पर  आसमान  रखते  हैं   !

शहर  वालों  की  सादगी    देखो  ,

अपने  दिल  में  मचान  रखते  हैं   !

ऐसे  जासूस  हो  गए  मौसम  ,

सबकी   बातों  पे  कान  रखते  हैं  !

मेरे  इस   अहद  में  ठहाके  भी  ,

आँसुओं  की  दुकान  रखते  हैं  !

हम सफ़ीने हैं मोम के लेकिन

आग के बादबान रखते हैं !!

( संकलित )

—— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !

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