कुछ करना है तो डटकर चल,
थोड़ा दुनिया से हटकर चल !
लीक पर तो सभी चल लेते हैं ,
कभी इतिहास को पलटकर चल !
बिना काम के मुकाम कैसा ?
बिना मेहनत के दाम कैसा ?
जब तक ना हासिल हो मंज़िल
तो राह में, आराम कैसा ?
अर्जुन सा निशाना रख ,
मन में ना कोई बहाना रख !
लक्ष्य सामने है, बस उसी पे अपना ठिकाना रख !!
सोच मत , साकार कर ,
अपने कर्मो से प्यार कर !
मिलेगा तेरी मेहनत का फल ,
किसी और का ना इंतज़ार कर !
जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले हैं…
जो करते रहे इंतज़ार उनकी
ज़िंदगी में आज भी झमेले हैं !
इसलिए कुछ करना है तो डटकर चल ,
थोड़ा दुनिया से हटकर चल !!
( संकलित )
———– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !