” तुमसे मिलने के पहले … “

तुमसे मिलने  के पहले,

हर  बार  सोचता   हूँ  ,

इधर– उधर  की

बातों   के   अलावा  ,

तुमसे  वे   सारी  बातें  सुनता  ,

जो  तुम्हारी   अपनी   हैं  !

या  कुछ  अपनी  ही  कह   पाता….!

पर  सारी   बातें   एक  प्रश्न  बनकर   रह  जाती  हैं  !

 

तुमसे  मिलने के  पहले  हर  बार  सोचता  हूँ  !

कि  तुम्हारी  हर  छोटी  सी  बात,

जो   मुझे  पसंद  है  , तुम्हें  बताऊँ  !

पर तुमने  भी  तो  मेरी  ऐसी  कोई  बात  ,

जो  तुम्हें  पसंद  होगी  ,  मुझसे  नहीं  कहा…!

इसलिए  सारी  बातें  एक  प्रश्न  बनकर  रह  जाती  हैं  !

 

तुम्हारी  सारी  बातें, जो दिनभर  सुनता  हूँ  ,

और  तुम्हारे  जाने के बाद  ,

किस  तरह  मन  में  चित्रित  हो  जाती  हैं  ,

सोचता  हूँ  कभी  सुनाऊँ  ,

पर  तुमने  तो  कभी,  ऐसा  कोई  सपना  ,

जिसमें  मेरी  आकृति  जगी  हो  ,

मुझे  नहीं  सुनाया  ,

इसलिए  सारी  बातें  एक  प्रश्न  बनकर  रह  जाती  हैं !

( संकलित  )

 

————–  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

 

 

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