” नहीं फूलते कुसुम….. “

नहीं  फूलते  कुसुम  मात्र  राजाओं  के  उपवन  में

अमित  बार  खिलते  वे पुर  से  दूर  कुंज— कानन  में  !

समझे  कौन  रहस्य  ? प्रकृति  का  बड़ा  अनोखा  हाल,

गुदड़ी  में  रखती  चुन– चुन  कर  बड़े  कीमती  लाल  !

 

जलद— पटल  में  छिपा  , किंतु  रवि  कब  तक  रह सकता  है  ?

युग  की  अवहेलना  शूरमा  कब  तक  सह  सकता  है  ?

पाकर  समय  एक  दिन  आखिर  उठी  जवानी  जाग,

फूट  पड़ी  सबके  समक्ष  पौरुष  की  पहली  आग   !

———-  प्रसिद्ध कवि  रामधारी  सिंह  दिनकर

(  संकलित  )

 

———- राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !

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