” उड़ान से भी गया “

ज़मीन  पे  चल  न  सका  ,

आसमान  से  भी  गया   !

कटा  के  पर  वो  परिंदा  ,

उड़ान  से  भी   गया   !!

 

तबाह   कर   गई   उसे   पक्के

मकान   की   ख्वाहिश  ,

वो   अपने   गाँव   के   कच्चे

मकान   से   भी   गया   !!

 

पराई   आग   में   कूदा

तो  क्या   मिला   उसे  ,

उसे   बचा  भी  न  सका  ,

और अपनी  जान  से  भी  गया   !!

(  साभार  )

 

———– राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !