जीवन में कुछ अच्छा मिल जाए तो उसे उपलब्धि कहते हैं ! संपत्ति, प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य, संबंध….. ये सब उपलब्धियों की श्रेणी में आते हैं ! लेकिन हमारे देश में एक वर्ग ऐसा है, जो ये मानता है कि अच्छे और सच्चे सन्त भी जीवन में आ जाएं, तो बहुत बड़ी उपलब्धि है ! बाकी चीजें तो अपने परिश्रम से मिलती हैं , पर कहा जाता है कि ” सन्त विशुद्ध मिलहि परि तेही , चितवंहि राम कृपा करि जेहिं ” !
गरुड़ जी ने काकभुशुंडि से कहा था कि शुद्ध ( सच्चे ) सन्त उसी को मिलते हैं जिसे श्री राम जी अपनी कृपा करके देखते हैं ! राम राज्य , राम की कृपा ही है और ऐसा कहा गया है कि राम राज्य में ” चरिउ चरण धर्म जग मांही , पूरि रहा सपनेहु अघ नाहीं ” धर्म अपने चारो चरणों यानी सत्य, शौच, दया और दान से जगत में परिपूर्ण हो रहा है ! स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं है ! राम राज्य में धर्म का ये स्वरूप था ! स्त्री और पुरुष को समान सम्मान मिलता था ! आज हम लोग भी अपने जीवन में राम राज्य चाहते हैं !
सफलता , शांति के साथ, सुख , स्वास्थ्य के साथ भला कौन नहीं चाहेगा ! और इसके लिए सबसे पहला प्रयास हमें ही करना पड़ेगा कि श्री राम जी कृपा बनाएं रखें ! जो राम जैसा आचरण करेंगे यानी त्याग, चरित्र, प्रेम, पुरुषार्थ, ! इन सबको समझकर जीवन में उतारने का नाम ही श्री राम की शैली है ! बाहर राम राज्य की फिक्र किये बिना हम अपने भीतर राम राज्य की स्थापना तो कर ही सकते हैं !
————- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार, पुणे !