” मनोरोग से बचने के लिए अध्यात्म से जुड़ना ही होगा “

देश में अलग–अलग दौर में अलग—अलग वर्ग पर काम हुआ है  ! एक समय श्रमिकों पर काम हुआ  , फिर आदिवासियों के उत्थान के प्रति जागरुकता आई  ! महिला सशक्तिकरण पर भी जमकर शोर होता रहा और अब जाकर महिलाओं के लिए  33% आरक्षण बिल लोक सभा और राज्य सभा से पास हुआ है  ! अब हमारे देश में एक नया वर्ग उभर रहा है, जिस पर मानसिक रूप से काम करना होगा  ! यह है बेरोजगार वर्ग  !  इनके आंकड़े खतरनाक रूप ले रहे हैं  ! काम की तलाश वाले बढ़ते जा रहे हैं और नौकरियां एवं काम के अवसर कम होते जा रहे हैं  !

सरकार ने इस बाबत काम भी किया है  लेकिन हमारे कर्णधारों  ने रोजगार के अवसर जुटाने के ऐसे प्रयास भी कर डाले कि एक नई कौम तैयार हो गई काम न करने वालों की  ! मैंन  पावर पर अब ए आई का आक्रमण होना ही है  ! ऐसे में भारत में धर्म, अध्यात्म का सहारा लेना होगा, वह भी समझदारी के साथ  !  जैसे एक वक़्त आया जब पूरी दुनिया मंदी के दौर में डूब गई  , लेकिन भारत बच गया  ! उसके पीछे बड़ा कारण था  हमारे परिवार  ! मंदी के तूफान में देश, परिवार की नाव में बैठकर पार लग गया   ! अब ये सारे बेरोजगार  , मनोरोग से ग्रसित होने की तैयारी में हैं  ! आने वाले वर्षों में सुनाई पड़ सकता है कि जो–जो बेरोजगार है, वो– वो मनोरोगी है  ! समय रहते इन युवाओं को अध्यात्म की औषधि से जोड़ा जाना चाहिए  ! नौकरी तुरंत भले न मिले  , पर जिंदगी तो हाथ से फिसलने से बच जायेगी  !  इस पर गंभीरता से विचार करना ही होगा  !

 

————– राम कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  ,  पुणे   !