जो व्यक्ति सुबह की सैर पर निकलता है ! समझो उसे प्रकृति ने अनमोल तोहफा दिया है , जिससे वह अनजान है ! अप्रत्यक्ष रूप से वह बहुत भाग्यशाली है, जिसे प्रातः कालीन उगते सूर्य की किरणों के दर्शन, हरे– भरे पेड़– पौधों, पक्षियों का मधुर संगीत, मंदिरों से आने वाली घंटियों की आवाज़ें , हरी घास पर चलकर ओस की बूँदों का स्पर्श, बहती हवा के झोंकों का सहवास , इन सबसे एक हो जाने का जो आनंद मिलता है , वह शब्दों में बयान नहीं हो सकता है !
मनुष्य लेकिन इन चीजों से बेखबर होकर अपने हाथ में मनुष्य द्वारा बनाये गये यंत्र को कानों में लगाकर चल रहा है और इन सारे कुदरत के दिये वरदान से अनभिज्ञ है ! रिश्तेदारों, मित्रों, संबंधियों से बातें, मेसेज, चैटिंग कर अनावश्यक अपने कानों, कंधों, हाथों , आँखों, तन मन पर क्यों तनाव डाल रहा है , वह भी सुबह — सुबह, फिर दिन भर तो यही मोबाइल , लैपटॉप, मशीनों, गाड़ियों की आवाज़ों, तू– तू, मैं– मैं , में तो हमें गुजरना ही है, फिर क्यों न सुबह की बेला को बिना मोबाइल के , एक बार अपना बना कर देखें , सुबह के वातावरण को अपना घनिष्ठ मित्र बनाएं ! कोशिश यह भी करें कि सवेरे– सवेरे का समय बिना मोबाइल के बिताएँ , इससे जीवन में आपको आनंद की अनुभूति होगी !
——- राम कुमार दीक्षित, पत्रकार , पुणे !