” सभी को समय का ध्यान अवश्य रखना चाहिए “

किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि सुख के युग पल में कट जाते हैं और दुख के पल युग जैसे लगते हैं  !

जब हमारे आस पास खुशी का माहौल हो तो पता नहीं लगता है कि वक़्त कब निकल गया  ! लेकिन अगर हालात विपरीत हों तो समय भारी पड़ता है  ! राम के राजतिलक के बाद जब वानर उनके साथ अयोध्या में रह रहे थे  , तब समय कब बीत गया, किसी को भान नहीं रहा  ! तब तुलसीदास जी ने लिखा— ब्रह्मानन्द मगन कपि सब के प्रभु पद प्रीति  , जात न जाने दिवस तिन्ह गये मास खट बीती  ” अर्थात ” वानर सब परमात्मा के आनंद में मग्न हैं  ! प्रभु के चरणों में सबका प्रेम है  ! उन्हें पता नहीं चला और बातों ही बातों में छह महीने बीत गये  ! यह छह महीने बड़े प्रतिकात्मक हैं  !

अगर हम एक वर्ष को बारह महीने मानते हैं, तो इसका मतलब है कि आधा समय पूरे जीवन में हम यह सिद्धांत लागू कर सकते हैं कि हर मनुष्य के जीवन में आधा समय ऐसा होता है, जिसे कम से कम वह बचा सकता है  ! आधा समय दुख का भी आयेगा, यह बात ध्यान में रखनी होगी  ! हर बात में आधे पर ध्यान देना शुरू करें  ! ये आधा समय बहुत बड़ा आश्वासन है  ! और हर मनुष्य को अपना आधा समय बचा कर रखना चाहिए कि पता नहीं कब काम आ जाए, सुख का हो दुःख  का  ! मनुष्य को हर परिस्थिति के लिए अपने को तैयार रखना चाहिए

 

——— राम कुमार दीक्षित  ,  पत्रकार  , पुणे  !