” वीरांगना का बलिदान “

मुगलों ने दुर्गादास राठौर को अपना कट्टर दुश्मन समझ रखा था  ! यही कारण था कि मुगलों ने कई बार दुर्गादास राठौर को छल से मारने का प्रयास किया  ! लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली  ! एक बार दुर्गादास राठौर को एक मराठा सरदार के घर रात बितानी पड़ी  ! मराठा सरदार मुगलों की नौकरी करता था  ! जब दुर्गादास गहरी नींद सो गये, तो मराठा सरदार अपनी कटार निकाल उनकी हत्त्या करने के लिए आगे बढ़ा  !

जब यह मराठा सरदार की पत्नी ने देखा, तभी उसकी वीर पत्नी बिजली की गति से उसके सामने आ गयी और अपने पति से कटार छीनकर बोली, ” धिक्कार है तुम्हारी वीरता पर ” , मुगलों के टुकड़ों पर पलने से लगता है कि तलवार के साथ –साथ तुम्हारी आत्मा को भी जंग लग गयी है  ! तुमने आज  मराठा जाति को कलंकित कर दिया !  मैं ऐसे कायर की पत्नी कहलाने से अच्छा मौत को गले लगा लेना उचित समझती हूँ  ! इतना कहकर  सरदार की पत्नी ने  अपने सीने में कटार उतार ली  !

 

राम कुमार दीक्षित, पत्रकार,  पुणे  !