” कुफ़्र “

आज हमने एक दुनिया बेची

और एक दीन खरीद लिया

हमने कुफ़्र की बात  की  !

 

सपनों का एक थान बुना था

एक गज़ कपड़ा फाड़  लिया

और उम्र की चोली  सी  ली  !

 

आज  हमने  आसमान  के  घड़े  से

बादल  का  एक  ढकना  उतारा

और  एक  घूँट  चांदनी  पी  ली

 

यह  जो  एक  घड़ी  हमने

मौत  से  उधार  ली  है

गीतों  से  इसका  दाम  चुका  देंगे

——– कवियत्री  अमृता प्रीतम

( संकलित  )

राम कुमार दीक्षित ,  पत्रकार  !