सोया था संयोग उसे
किस लिए जगाने आये हो ?
क्या मेरे अधीर यौवन की
प्यास बुझाने आये हो ??
रहने दो रहने दो, फिर से
जाग उठेगा वह अनुराग !
बूँद– बूँद से बुझ न सकेगी ,
जगी हुई जीवन की आग !!
झपकी — सी ले रही
निराशा के पलनों में व्याकुल चाह !
पल–पल विजन डुलाती उस पर
अकुलाये प्राणों की चाह !!
रहने दो अब उसे न छेड़ो ,
दया करो मेरे बेपीर !
उसे जगाकर क्यों करते हो ?
नाहक मेरे प्राण अधीर !!
——- कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान
( संकलित )
राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !