” जाने कहाँ गये वो दिन …. “

जाने कहाँ गये वो दिन

कहते थे तेरी राह में,

नज़रों को हम बिछायेंगे  !

चाहे कहीं भी तुम रहो,

 

चाहेंगे तुमको उम्र भर, तुमको न भूल पायेंगे  !

मेरे कदम जहाँ पड़े, सज़दे किये थे यार ने

मुझको रुला — रुला दिया  — जाती हुई बहार ने

जाने कहाँ गए वो दिन,

कहते थे तेरी राह में, नज़रों को हम बिछायेंगे   !

चाहे कहीं भी तुम रहो,

चाहेंगे तुमको उम्र भर, तुमको न भूल पायेंगे  !

अपनी नज़र में आजकल, दिन भी अंधेरी रात है  ,

साया ही अपना साथ था, साया ही अपने साथ है,

जाने कहाँ गये वो दिन, कहते थे तेरी राह में,

नज़रों को हम बिछायेंगे  !

चाहे कहीं भी तुम रहो, चाहेंगे तुमको उम्र भर

तुमको न भूल पायेंगे  !

यह हृदय स्पर्शी गीत  अभिनेता, निर्देशक राज कपूर की फिल्म ” मेरा नाम जोकर ” का है  ! इस गीत को  फिल्म के लिए हसरत जयपुरी ने लिखा और इस गीत को संगीत बद्ध किया , संगीत निर्देशक शंकर– जय किशन ने और इस गीत को मनमोहक आवाज़ के जादूगर श्री मुकेश ने गाया है  !

यह एक विरह गीत है जिसमें एक प्रेमी अपने उन दिनों की याद करके विरह में डूब जाता है कि अपने प्रियतम के साथ बिताए गये, वे क्षण ,वे  दिन   कहाँ चले गये  ! वह प्यार भरा समय कहाँ चला गया? प्रेमी उन सारे लम्हों को याद करता है कि मुझसे प्यार करने वाला, मुझसे कहता था कि तुम्हारे कदमों की आहट पर मेरी नज़रें टिकी रहेंगी  ! प्रियतम यह भी कहता था कि तुम कहीं भी रहो, हम तुम्हें  उम्र भर नहीं भुला पायेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं  ! मुझको वियोग  ने बहुत बहुत रुलाया  ! प्रेमी गीत में आगे कहता है कि अब तो मुझको दिन के उजाले भी अंधेरी रात की तरह महसूस हो रहे हैं और अब तो मेरे साथ कोई नहीं है   केवल मेरा साया ही मेरे साथ है  !

समाज में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि किसी को उसका सच्चा प्यार मिल ही गया हो  ! बड़े बड़े  कवियों को भी विरह वेदना झेलनी पड़ी है  ! यहाँ तक कि  आध्यात्मिक क्षेत्र में भी कई महान विभूतियों को विरह वेदना ने संत बना दिया  ! प्यार की गहराई भी तभी अनुभव में आती है  जब दो प्यार करने वाले  आत्मिक स्तर पर मिले हों  और प्यार को बिना किसी शर्त के, परवान चढ़ाया हो  ! यदि प्रेम बिना किसी माँग के है तो वह  कभी न टूटने वाला और अमिट होगा  ! यहाँ तक कि जब प्रियतम में भी परमात्मा दिखने लगे तभी प्रेम अर्थपूर्ण होगा  ! संतो के अनमोल वचन हैं कि प्रेम से ही परमात्मा को आसानी से पाया जा सकता है  !

राम कुमार दीक्षित  ,  पत्रकार  !