एक जंगल में ऊँट और सियार रहते थे ! उस जंगल के पास ही खरबूजे का खेत था लेकिन खेत और जंगल के बीच में एक नदी पड़ती थी ! एक दिन दोनों ने सोचा कि आज नदी पार खेत में खरबूजा खाने चलते हैं ! दोनों ने एक दूसरे से सलाह किया और और खरबूजे के खेत की ओर चल पड़े ! जैसे ही नदी के पास पहुंचे सियार बोला, ऊँट भाई, तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो तो मैं भी नदी पार कर लूँगा ! ऊँट ने सियार को अपनी पीठ पर बिठा लिया और थोड़ी देर में खेत पहुँच गए !
जैसे ही वे खेत में पहुंचे तो उन्हें बड़े ही मीठे खरबूजे खाने को मिले ! दोनों खरबूजे खाने में जुट गये लेकिन थोड़ी देर बाद सियार का पेट भर गया और वह अजीब–अजीब आवाजें निकालने लगा ! यह देख ऊँट ने उसे ऐसा करने से मना किया लेकिन सियार ने उसकी एक न सुनी और बोला ऊँट भाई, खाने के बाद मैं ऐसा जरूर करता हूँ ! मुझे तो हुकहूकि आ रही है ! ऊँट ने कहा, अगर तुम ऐसा करते रहोगे तो खेत का मालिक आ जायेगा और हमारी पिटाई कर देगा लेकिन सियार फिर भी चुप नहीं हुआ और ऐसा ही करता रहा !
सियार की आवाज़ सुनकर खेत का मालिक आ गया ! खेत के मालिक को आता देख सियार तो झाड़ियों में छुप गया और ऊँट बेचारा पिट गया ! जब सियार और ऊँट की जंगल वापस जाने की बात आई तो सियार ऊँट के पास आया और ऊँट से बोला कि भाई तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो ! ऊँट को भी अपना बदला लेने का मौका मिल गया ! उसने सियार को अपनी पीठ पर बिठा लिया !
जब ऊँट नदी के बीच में पहुँच गया तो बोला यार मुझको तो लूटलूटी आ रही है ! खाना खाने के बाद लेटता जरूर हूँ ! जैसे ही ऊँट लेटने को हुआ तो सियार ने उससे कहा , अगर तुम लेट जाओगे तो मैं डूब जाऊंगा ! बस थोड़ी देर रुक जाओ ! अब ऊँट की बारी थी, इसलिए उसने भी सियार की एक न सुनी और नदी में लेट गया ! जैसे ही ऊँट नदी में लेटने को हुआ , सियार नदी में डूब गया और मर गया !
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें भी किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए ! किसी को भी किसी तरह से नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिये क्यों कि हम जिसके साथ भी गलत व्यवहार करेंगे ! उसका ब्याज सहित हमको लौटाना पड़ेगा ! लेकिन लोग नहीं ध्यान देते हैं और बाद में मुश्किलों से सामना करते हैं ! संतों के अनमोल वचन हैं कि यदि आप किसी का भला नहीं कर सकते हैं तो बुरा तो बिलकुल न कीजिये ! इसलिए कहावत है कि जैसी करनी, वैसी भरनी !
राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !