हों घने, हों बड़े ,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ !
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ !
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ !
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है ,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ, लथपथ, लथपथ !
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ !
————— हरिवंश राय बच्चन
( संकलित )
राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !