” अंधा घोड़ा “

शहर के नजदीक बने एक फार्म हाउस में दो घोड़े रहते थे  ! दूर से देखने पर वो दोनों ठीक ठाक दिखते थे लेकिन पास जाने पर पता चलता था कि उनमें से एक घोड़ा अंधा है  ! लेकिन अंधा होने के बावजूद फार्म हाउस के मालिक ने उसे वहाँ से नहीं निकाला था , बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था  ! अगर कोई थोड़ा ध्यान देता तो उसे ये पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बांध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अंधा घोड़ा उसके पास पहुँच जाता और उसके पीछे पीछे बाड़े में घूमता  !

घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता था  ! वह बीच–बीच में पीछे मुड़कर देख लेता और इस बात को सुनिश्चित करता कि वह कहीं रास्ते से भटक न जाए  ! वह यह भी सुनिश्चित करता कि उसका मित्र सुरक्षित, वापस अपने स्थान पर पहुँच जाए और उसके बाद ही वह अपनी जगह की ओर बढ़ता  !  इसी प्रकार बाड़े के मालिक की तरह ही परमात्मा हमें केवल इसलिए नहीं छोड़ देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या कमियाँ हैं  ! परमात्मा हमारा पूरा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी जरूरत होती है तो किसी न किसी को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं  ! कभी – कभी हम अंधे घोड़े की तरह परेशानियों से घिरे हुए होते हैं लेकिन उस समय परमात्मा द्वारा बांधी गई घंटी की मदद से परेशानियों से पार पा जाते हैं  तो कभी हम परमात्मा द्वारा दी गई ताकत और प्रेरणा से दूसरों को रास्ता दिखाने के काम आते हैं  !

 

राम कुमार दीक्षित, पत्रकार  !