” देव ! डुबा दो अहंकार सब, मेरे आँसू जल में “

  • मेरा  शीश  नवा  दो  अपनी  ,

चरण — धूलि   के  तल  में   !

देव  ! डुबा  दो  अहंकार  सब  ,

मेरे  आँसू  जल   में    !

 

अपने   को   गौरव   देने  को,

अपमानित  करता   अपने  मन  को  ,

घेर  स्वयं  को  घूम  घूम  कर  ,

मरता  हूँ  पल  पल  में   !

 

देव  ! डुबा  दो  अहंकार  सब,

मेरे  आँसू  जल  में   !

अपने  कामों  में  न  करूँ  मैं,

आत्म — प्रचार  प्रभो  ,

अपनी  ही  इच्छा  मेरे  ,

जीवन  में  पूर्ण  करो   !

 

मुझको  अपनी  चरम  शांति  दो

प्राणों  में  वह  परम  कांति  हो   !

आप  खड़े  हो  मुझे  ओट  दें  ,

हृदय— कमल  के  दल  में   !

देव  डुबा  दो  अहंकार  सब  ,

मेरे  आँसू  जल   में   !

_____ रवींद्र नाथ  टैगोर

(  संकलित    )

राम कुमार दीक्षित, पत्रकार   !