” बच्चों के लिए कविता– धरती माँ “

जब भी   हम   थक   जाते   हैं,

तो   अपने  गोद  में   बिठाती  है  !

झपकी जब  आने  लगती  है  ,

तो  प्यार  से  हमें  सुलाती   है   !

नदियों  और  पहाड़ों  को  भी  ,

यह  तो  खूब  सजाती  है     !

अपनी  उर्वरक  मिट्टी  में   भी

नित  नये  फूल  खिलाती  है   !

बेचैनी  जब  हमें  सताती  ,

ठंडी  हवा  संग  सहलाती  है   !

लाड   प्यार  माँ  जैसा  करती  ,

धरती  माँ  कहलाती   है    !

राम कुमार दीक्षित, पत्रकार   !