सुनो ध्यान से बेटियाँ

//सुनो ध्यान से बेटियाँ//

विकसित होता देश है, फिर भी छोटी सोच।

हाथ बढ़ा धन माँगते, करे नहीं संकोच।।

इर्द गिर्द हैं घूमते, जैसे उड़ते बाज।

रचे स्वांग मानव यहाँ, सर पर पहने ताज।।

लालच कितना मन भरा, दौलत रखे अमीर।

नहीं गरीबी देखते, रखे कभी ना धीर।।

सुनो ध्यान से बेटियाँ, बदल रहा परिवेश।

हो गर अत्याचार तो, दर्ज करो तुम केश।।

कलयुग का यह दौर है, सभी चटाओ धूल।

जिनके मन में मैल हो, चुभे उन्हें भी शूल।।

कितने राक्षस घूमते, करते माँग दहेज।

तुम कलयुग की बेटियाँ, बनो सूर्य सा तेज।।

करे नौकरी बेटियाँ, भरती गगन उड़ान।

हैं लक्ष्मी का रूप वे, उनको दो सम्मान।।

स्नेह मिले माँ बाप सा, ऐसी हो ससुराल।

ये बेटी है या बहू, पूछे लोग सवाल।।

// रचनाकार //

प्रिया देवांगन “प्रियू”

राजिम

जिला – गरियाबंद

छत्तीसगढ़