” ….. तो कोई मेहरबाँ नहीं “

अब  धूप  भूल  जाइये  , सूरज  यहाँ   नहीं  , ऐसी  ज़मी  मिली  है  , जहाँ   आसमाँ   नहीं   !   काग़ज़  पे  रात  अपनी  सियाही  बिछा …

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” ….. और मूर्ति अंतर्ध्यान हो गई “

कूबा जी और उनकी पत्नी महीने भर में केवल तीस बर्तन बनाकर अपनी जीविका चलाते थे  ! बाकी समय भगवान् की भक्ति करते थे  !…

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” श्रीनाथ जी की लीला बहुत ही अद्भुत “

करीब सवा सौ साल पहले की बात है ! एक भक्त इटावा से श्रीनाथ जी के दर्शन के लिए नाथद्वारा, राजस्थान जाने के लिए निकले …

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” इसी जन्म में इस जीवन में “

इसी  जन्म  में  , इस  जीवन  में  , हमको तुमको  मान  मिलेगा  ! गीतों  की  खेती  करने  को  , पूरा  हिंदुस्तान  मिलेगा  !!   क्लेश …

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” परमात्मा ने बचाई पुरा जी की लाज “

मेवाड के अंतर्गत  भादसोडा गाँव में भक्त पुरा जी का जन्म हुआ था  ! किशोरावस्था में ही उन पर साधु– संगति का रंग चढ़ गया…

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