*आंख संसार की हर चीज देखती है, मगर आंख के अंदर कुछ चला जाए, तो उसे नहीं देख पाती है…..!*
*ठीक उसी प्रकार मनुष्य दूसरे की, बुराइयां तो देखता है, पर अपने भीतर बैठी बुराइयां, उसे दिखाई नहीं देती….!*
*दुनिया में दुध का धुला कोई नहीं है, “कमियाँ” सबमें संभव है,इसीलिए दूसरों की कमियाँ न देखें….!*
*क्योंकि इससे हम कमजोर हो जाएंगे,वहीं दूसरों में विशेषताएं देखेंगे तो आप विशिष्ट हो जाएंगे….!!*
—– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !