सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल ने दिया संदेश नवरात्र में संकल्पित होकर त्यागे मांसाहार
आध्यात्मिक और सामाजिक उन्नति के साथ-साथ स्वस्थ शरीर का भी मिलेगा आशीर्वाद
लखनऊ। सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल ने शारदीय नवरात्र के अवसर पर रविवार 28 सितम्बर को संदेश दिया कि सभी सनातनी संकल्पित होकर मांसाहार त्यागने का संकल्प लें। इससे भक्तों को आध्यात्मिक और सामाजिक उन्नति के साथ-साथ स्वस्थ शरीर का भी आशीर्वाद मिलेगा। सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल की अगुआई में इससे पूर्व कृष्णा विहार कॉलोनी में मातृशक्तियों ने विश्व शान्ति और भारत की उन्नति के लिए सुंदरकांड का पाठ भी किया।
सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल के अनुसार नवरात्र महज नौ दिवसीय अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह एक संस्कार है जो हर व्यक्ति को सुनहरा अवसर देता है अपनी सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति का और एक आम व्यक्ति, से संवेदी और जिम्मेदार इंसान बनने का। इसके साथ ही यह हर व्यक्ति को यह सामर्थ्यवान भी बनाता है। नवरात्र हमें संदेश देती है कि बुराई चाहे जितनी भी विशाल क्यों न हो, मां की शक्ति के समक्ष वह टिक ही नहीं सकती है।
मां की असीम कृपा से हर असंभव कार्य संभव हो सकता है। आवश्यकता केवल अटूट और दृढ़ विश्वास के साथ सकारात्मक सोच और सम्पूर्ण समर्पण की है। इसलिए नवरात्र में नकारात्मकता को त्याग कर अटूट विश्वास और समर्पण के साथ हर क्षण माँ का ध्यान, माँ का जाप और माँ का गुणगान करना चाहिए।
इससे हमारा मन शांत होगा और और आत्म शक्ति का विकास होगा। इससे हम अधिक लगाव के साथ मां की भक्ति में लीन हो सकेंगे। इससे हमारे जीवन पर न तो बुराई का और न ही भलाई का ही कोई प्रभाव पड़ेगा। इसे हम अपने जीवन के परम लक्ष्य को सहजता से हासिल कर सकेंगे। यही सनातन का मूल भाव है।
वास्तव में जो भी सात्विक है वह सभी सनातनी है। ऐसे में हर सनातनी को चाहिए कि वह नवरात्र में यह संकल्प लें कि वह मांसाहार का सेवन नहीं करेंगे। मांसाहार न करने से न केवल जीव हत्या पर अंकुश लगेगा बल्कि स्वयं मांसाहार छोड़ने वाले का अनुपम आध्यात्मिक विकास भी होगा। इसके साथ ही वह मां के आशीर्वाद से स्वस्थ और तंदुरुस्त शरीर का भी उपहार पाएगा।
दरअसल मनुष्य का शरीर मांसाहार के लिए बना ही नहीं है। न तो हमारे दाँत, न हमारी आँतें और न ही हमारी पाचन क्रिया मांसाहार के लिए अनुकूल हैं। मांस खाने से शरीर में रक्त की अम्लता बढ़ती है। इससे क्रोध, आक्रोश और हिंसा की प्रवृत्ति तक प्रबल हो सकती है। जब हम किसी जीव की हत्या करके उसका मांस खाते हैं, तो वह हिंसा हमारे अवचेतन में दर्ज हो जाती है। यह मानसिकता को भी प्रभावित करती है।
इससे व्यक्ति अधिक उत्तेजित, अशांत और कठोर हो जाता है। इसलिए इस नवरात्र में सभी सनातनी यह संकल्प ले कि वह मांसाहार को हमेशा के लिए त्याग कर स्वस्थ और सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को अपनाएंगे। वास्तव में यह जीवन अनमोल है क्यों कि भारत में जन्म लेना भाग्य है और सनातनी होना परम् सौभाग्य।
सनातन ध्वजवाहिका सपना गोयल ने बताया कि सुंदरकांड महायज्ञ अनुष्ठान करने का एकमात्र उद्देश्य, संतों और देवों की भूमि भारतवर्ष को विश्व में दोबारा विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित करना और हिन्दुस्तान विरोधी असुरीय शक्तियों के दमन हेतु प्रार्थना करना है।
“सुंदरकांड महा अभियान, भारत वर्ष की बने पहचान” के तहत जिलों से लेकर दिलों तक को जोड़ा जा रहा है। यह अभियान देश ही नहीं विदेशों तक में संचालित किया जा रहा है। सुंदरकांड के नियमित पाठ से केवल सनातनियों का ही नहीं बल्कि हर समाज के अनुयायियों का कल्याण सम्भव है। सुंदरकांड के पाठ में सुंदर विश्व की कामना का भाव निहित है। अयोध्या जी जन्मभूमि परिसर में मातृशक्तियों द्वारा सामूहिक “मासिक सुंदरकाण्ड पाठ” का सिलसिला 11 सितम्बर 2024 से शुरू हो गया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से लखनऊ की “ईश्वरीय स्वप्नाशीष सेवा समिति” की सनातन ध्वजवाहिका सपना गोयल को इसका दायित्व सौंपा गया है। सपना गोयल द्वारा बिना किसी सरकारी या निजी सहयोग के, बीते साल 10 मार्च 2024 को महिला दिवस के उपलक्ष्य में पांच हजार से अधिक मातृशक्तियों द्वारा लखनऊ के झूलेलाल घाट पर सामूहिक सुंदरकांड का भव्य अनुष्ठान सम्पन्न करवाया गया था।
सामूहिक सुंदरकांड का अभियान राष्ट्रीय स्तर पर वृहद रूप में निरंतर संचालित किया जा रहा है। इस क्रम में स्थानीय अनगिनत मंदिरों के साथ ही नैमिषारण्य तीर्थ, उत्तराखंड कोटद्वार के प्रतिष्ठित प्राचीन मंदिर-सिद्धबली परिसर, काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर, मथुरा के भगवान कृष्ण जन्मस्थली मंदिर परिसर और प्रयागराज के लेटे हुए हनुमान मंदिर परिसर में भी सामूहिक सुंदरकांड पाठ का अनुष्ठान, सफलतापूर्वक आयोजित करवाया जा चुका है।