गीत हो या गज़ल गुनगुनाया करो ,
गम में भी दोस्त मुस्कराया करो !
हर घड़ी दोस्तों को न परखा करो ,
दुश्मनों को कभी आजमाया करो !
ज़िंदगी का तज़ुर्बा है कहता यही ,
ख़ुद को अपनी नज़र से बचाया करो !
गांव तक जिसकी खुशबू पहुंचती रहे ,
शहर में नाम इतना कमाया करो !
मौत के बाद भी वो तमाशा चले ,
कोई किरदार ऐसा निभाया करो !
( संकलित )
——– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !