गुंजित मधुमय कण् — कण् होगा
शैशव के कुछ सपने होंगे
मदमाता– सा यौवन होगा
यौवन की उच्छंखलता में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं !!
साकीबाला के अधरों पर
कितने ही मधुर अधर होंगे
प्रत्येक हृदय के कंपन पर
रुनझुन— रुनझुन नुपूर् होंगे
पग पायल की झनकारों में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं ! !
जब विरही के आंगन में घिर
सावन घन कड़क रहे होंगे
जब मिलन— प्रतीक्षा में बैठे
दृढ़ युगभुज फड़क रहे होंगे !
तब प्रथम— मिलन उत्कंठा में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं !!
( संकलित )
——- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !