उस उस राही को धन्यवाद !!
सांसों पर अवलंबित काया
जब चलते चलते चूर हुई !
दो स्नेह– शब्द मिल गए , मिली
नव स्फुर्ति थकावट दूर हुई !!
पथ के पहचाने छूट गए
पर साथ– साथ चल रही याद !
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही को धन्यवाद !!
कैसे चल पाता यदि न मिला
होता मुझको आकुल — अन्तर !
कैसे चल पाता यदि मिलते
चिर— तृप्ति अमरता— पूर्ण प्रहर !!
आभारी हूँ मैं उन सबका
दे गए व्यथा का जो प्रसाद !
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला
उस उस राही को धन्यवाद !
( संकलित )
—— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !