” कलम आज उनकी जय बोल “

जला  अस्थियां   बारी  बारी

चिटकाई  जिनमें  चिंगारी

जो  चढ़  गये  पुण्य  वेदी  पर

लिए  बिना  गर्दन  का  मोल

कलम  आज  उनकी  जय  बोल   !

 

पीकर  जिनकी  लाल  शिखायें

उगल  रही  सौ  लपट   दिशाएँ

जिनके  सिंहनाद  से  सहमी

धरती  रही  अभी  तक  डोल

कलम  आज  उनकी  जय  बोल   !

 

अंधा  चकाचौंध  का  मारा

क्या  जाने  इतिहास  बेचारा  .

साखी  है  उनकी  महिमा  के

सूर्य  चंद्र  भूगोल  खगोल

कलम  आज  उनकी  जय  बोल   !

——-  प्रसिद्ध कवि  रामधारी सिंह  दिनकर

(  संकलित  )

 

——–  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

 

 

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