” हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते “

हाथ  छूटे  भी  तो  रिश्ते  नहीं  छोड़ा  करते

वक़्त  की  शाख  से  लम्हे  नहीं  तोडा  करते   !

 

जिस  की  आवाज़  में  सिलवट हो  निगाहों  में  शिकन

ऐसी      तस्वीर    के    टुकड़े   नहीं    जोड़ा    करते   !

 

लग  के  साहिल  से  जो   बहता  है  उसे  बहने  दो

ऐसे  दरिया  का  कभी  रुख   नहीं   मोड़ा   करते   !

 

जागने  पर  भी     नहीं  आँख   से   गिरती   किर्चें

इस  तरह   ख्वाबों  से  आँखें    नहीं    फोड़ा   करते   !

 

शहद  जीने   का   मिला   करता   है   थोड़ा    थोड़ा

जाने  वालों    के   लिए    दिल   नहीं   तोडा   करते   !

(  संकलित   )

 

——  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !

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