” बहुत पहले से… “

बहुत  पहले  से  उन  क़दमों  की  आहट  जान  लेते  हैं

तुझे  ऐ  जिंदगी  हम  दूर   से   पहचान   लेते    हैं    !

 

तबियत  अपनी  घबराती  है  जब  सुनसान  रातों  में

हम  ऐसे  में  तेरी  यादों  की  चादर   तान  लेते   हैं   !

 

तुझे  घाटा  ना  होने  देंगे  कारोबार– ए– उल्फ़त  में

हम  अपने  सर  तेरा  ऐ  दोस्त  हर  नुक़सान  लेते  हैं  !

 

हमारी हर  नज़र  तुझ से    नई  सौगंध  खाती  है

तो  तेरी  हर  नज़र  से  हम   नया   पैगाम  लेते  हैं  !

 

ख़ुद  अपना  ही  फैसला  भी  इश्क़  में काफी नहीं होता

उसे  भी  कैसे  कर  गुज़रे  जो  दिल  में  ठान  लेते  हैं    !

( संकलित  )

 

———  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *