” बुझे दीपक जला लूँ “

सब  बुझे  दीपक  जला  लूँ

घिर रहा तम आज दीपक रागिनी अपनी जगा  लूँ   !

क्षितिज  कारा  तोड़कर  अब

गा  उठी  उन्मत  आँधी

अब  घटाओं  में  न  रुकती

लास  तनमय  तड़ित  बाँधी

धूलि की इस वीण पर  मैं तार   हर तृण  का  मिला  लूँ  !

सब  बुझे  दीपक  जला  लूँ   !!

——–  प्रसिद्ध कवियत्री  महादेवी  वर्मा

(  संकलित  )

 

——–  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !

 

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