” प्रार्थना “

ईश्वर  ,

ध्यान देना…

जब खडा  होना  पड़े  मुझे

तो अपने अस्तित्व  से  ज्यादा  जगह  न  घेरु  !

 

मैं ऋग्वेद  के  चरवाहों  की  करुणा  के  साथ  कहता हूँ —

मुझे इस  अनंत ब्रह्मांड  में

मेरे  पेट  से  बड़ा  खेत  मत  देना  ,

हल  के  भार  से  अधिक  शक्ति  ,

बैल के  आनंद  से  अधिक  श्रम  मत  देना   !

 

मैं तोलस्ताय के  किसान  से  सीख  लेकर  कहता हूँ..

मुझे  मत  देना  उतनी  ज़मीन

जो मेरे  रोजाना  के  प्रयोग  से  ज्यादा  हो,

हद  से  हद  एक  चारपाई  जितनी  जगह

जिसके  पास  में  एक  मेज़– कुर्सी  आ  जाए   !

 

मुझे  मेरे  ज्ञान  से  ज्यादा  शब्द  ,

सत्य  से  ज्यादा  तर्क  मत  देना  !

सबसे  बड़ी  बात

मुझे  सत्य  के  सत्य  से  भी  अवगत  करवाना  !

मुझे  मत  देना  वह

जिसके  लिए  कोई  और कर  रहा हो  प्रार्थना   !

( संकलित  )

 

——-  राम  कुमार  दीक्षित  ,   पत्रकार   !

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