” धरा हिला , गगन गुंजा “

धरा  हिला  ,  गगन  गुंजा

नदी  बही  ,  पवन  चला

विजय  तेरी  ,  विजय  तेरी

ज्योति  सी  जल  ,  जला

भुजा— भुजा  ,  फड़क– फड़क

रक्त  में  धड़क  —  धड़क

धनुष  उठा  , प्रहार  कर

तू  सबसे  पहला  वार  कर

अग्नि  सी  धधक– धधक

हिरन  सी  सजग— सजग

सिंह  सी  दहाड़  कर

शंख  सी  पुकार  कर

रुके  न  तू  ,  थके  न  तू

झुके  न  तू  , थमे  न  तू

सदा  चले  ,  थके  न  तू

रुके  न  तू  ,  झुके  न  तू   !!

——-  प्रसिद्ध कवि  हरिवंश राय  बच्चन

( संकलित  )

 

———  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

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