आज रूठा हुआ इक दोस्त बहुत याद आया
अच्छा गुज़रा हुवा कुछ वक़्त बहुत याद आया !
मेरी आँखों के हर इक अश्क पे रोने वाला ,
आज जब आँख यह रोई तू बहुत याद आया !
जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेता था ,
आज जब दर्द हुवा मुझ को बहुत याद आया !
जो मेरी आँखों में काज़ल की तरह रहता था ,
आज काज़ल जो लगाया तू बहुत याद आया !
जो मेरे दिल के था करीब फकत उस को ही ,
आज जब दिल ने बुलाया तू बहुत याद आया !!
( संकलित )
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !