बलिया जिले के सहतवार के पास बंधाव गांव में चैन राम बाबा का जन्म हुआ था ! उनके पिता का नाम पंडित रोपन चौबे था ! वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे ! चैनराम जी खेतों की रखवाली और गायों को चराने का काम करते थे ! गाय चराने और जंगली फल खाने में उन्हें बड़ा आनंद मिलता था ! जेठ का महीना और दोपहर का समय था ! बाबा घनी छाया में बैठकर गायों की रखवाली कर रहे थे ! तभी एक साधु आए और बोले कि मुझे बड़े जोर की प्यास लगी है ! चैनराम जी से उन्होंने पानी लाने के लिए कहा ! चैनराम जी तुरंत कमंडल में पानी भरकर लाये और धोती के छोर में से गुड़ निकालकर देते हुए साधु से बोले—- यह लीजिये महाराज ! पानी ! बालक चैनराम जी की सरलता पर साधु मुग्ध हो गए ! उन्होंने वहीं अपने पैर के अँगूठे की धूलि चैनराम जी के नेत्रों पर लगा दी ! बस उसी क्षण उनको दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गयी और संसार की ओर से मन मुड़ गया ! योग– साधना में प्रवृत्त हुए और धीरे– धीरे चैनराम जी को बड़ी– बड़ी सिद्धियाँ प्राप्त हो गयीं ! बताया जाता है कि वह लोगों को स्वस्थ कर देते थे ! भविष्यवाणी करना और दूसरों के मन की बात जान लेना, उनके लिए सरल बात थी ! चैनराम बाबा ने कई उपदेश दिये हैं , जिनमें से एक के अनुसार , प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म और विश्वास के अनुसार किसी प्रतीक में अवश्य ध्यान देना चाहिए ! इससे आत्मा में बल और चितवृत्तियों के विरोध में सहायता प्राप्त होती है !
———– राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !