तेरा आह्वान सुन कोई ना आए , तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला !
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला !
जब सबके मुँह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी ! सबके मुँह पे पाश,
हर कोई मुँह मोड़के बैठे , हर कोई डर जाय !
तब भी तू दिल खोलके, अरे ! जोश में आकर ,
मनका गाना गूंज तू अकेला ,
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी ! हर कोई वापस जाय..
कानन— कुचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय..
तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला !!
——- प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर
( संकलित )
——— राम कुमार दीक्षित, पत्रकार, पुणे, महारास्ट्र !