” सेवा ही सिद्धि है “

हमारे बुजुर्ग हमारे घर व परिवार की शान हैं  ! जिस घर में बड़े बुजुर्गों को मान दिया जाता है , वह घर हमेशा भरपूर और कुशल रहता है  ! बुजुर्गों के आशीर्वाद से हमारे सारे काम सफल और पूरे होते  हैं और हम निरंतर उन्नति करते हैं  ! बुजुर्ग हमारे घर की बुनियाद होते हैं  ! यदि बुनियाद मजबूत होगी तो इमारत को बल और लाभ प्राप्त होगा  !

माता– पिता अपने बच्चों का पालन– पोषण करते हैं  ! बच्चों की खुशी के लिए वे अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं  ! बच्चे उनकी आँखों के तारे होते हैं  ! वे अपने बच्चों के लिए ऊँचे ऊँचे अरमान रखते हैं और सपने  सजाते हैं  ! वे अपना आराम त्याग कर अपने बच्चों को आराम देते हैं  !

इसीलिए माता– पिता  पूज्य होते हैं  ! हमें उनका आदर करना चाहिए  ! बड़ी उम्र में शरीर कमज़ोर हो जाता है और बिमारियाँ घेर लेती हैं  ! ऐसे में बुजुर्गों को सहारा देना हमारा  परम कर्तव्य है  ! हमें उनके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करके उन्हें मानसिक संतोष प्रदान करना चाहिए  !  इनकी छत्र छाया से  हमारी सभ्यता व संस्कृति जीवित रह सकती है  ! इन्हीं से बच्चों को अच्छे संस्कार व स्नेह मिलता है    !  संतों के वचन हैं कि जीवन में सिद्धि हासिल करनी हो तो माता– पिता और बुजुर्गों की सेवा करो, फिर देखो तुम्हें कितनी प्रसिद्धि और सुख मिलता है  !

अनमोल वचन कहा है किसी ने —

फल  न  देगा  ,  न   सही  ,

छाँव  तो  देगा     तुमको   ,

पेड़   बूढ़ा   ही     सही   ,

आंगन    में   लगा   रहने  दो  !!

 

——–राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  , पुणे , महारास्ट्र .

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