” डेढ़ होशियारी “

एक पैसेंजर ट्रेन इंदौर से भीलवाड़ा की तरफ रवाना होनी थी  ! रात, 10 बजे सभी डिब्बे खचाखच भर गये  !

एक सज्जन ट्रेन के डिब्बे में चढ़ तो गए  , पर जब उन्हें बैठने तक की जगह नहीं मिली तो उन्हें एक उपाय सूझा   !

उन्होंने  साँप, साँप, साँप  चिल्लाना शुरू कर दिया  ! यात्री लोग डर गए और डर के मारे सामान सहित उतर कर दूसरे डिब्बों में चले गए  !  वो सज्जन ठाठ से ऊपर वाली सीट पर बिस्तर लगाकर लेट गए  ! दिनभर के थके रहे होंगे सो जल्दी नींद भी आ गई  !  सवेरा हुआ  ! चाय, चाय  की आवाज़ पर वे उठे  , चाय ली और चाय वाले से पूंछा कि भैया कौन सा स्टेशन आया है  ?

चाय वाले ने  बताया  कि इंदौर है  ! फिर पूंछा  , इंदौर से तो रात को चले थे  ? चाय वाला बोला , भाई साहब, इस डिब्बे में साँप निकल आया था, इसलिए इस डिब्बे को  यहीं इंदौर में ही काट दिया गया था  !   यह डिब्बा आगे गया ही नहीं  ! इसलिए अपने भले के लिए कभी भी दूसरों के साथ कोई आघात नहीं करना चाहिए  , नहीं तो ऐसा ही परिणाम सामने आता है  !

 

——  राम कुमार  दीक्षित, पत्रकार, पुणे  , महारास्ट्र  !

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