” कवि रसखान का श्रीकृष्ण प्रेम “

या लकुटी अरु कामरिया पर,

राज तिंहु पुर को तजि डारौं!

आठहुँ सिद्धि, नवो निधि को सुख,

नंद की धेनु चराय बिसारौं !!

रसखान कबौं इन आँखिन सों ,

ब्रज के बन बाग तडाग निहारौं !

कोटिक हू कलधौत् के धाम ,

करील के कुंजन ऊपर वारौं !!

—– प्रसिद्ध भक्त कवि सूरदास

( संकलित )

——- राम कुमार दीक्षित, पत्रकार !

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