” मुड़ कर नहीं देखा “

फिर  उसने  मुड़ कर  नहीं  देखा,

जब  उसको  पता  चल  गया  !

सबके  मंतव्य का  , इरादे  का  ,

जो  कलुषित  थे  कोयले  से  भी  !!

उसने कभी भी ना देखा था ऐसा माहौल  ,

कि सृजनात्मक  कुछ  भी  ना   हो  ,

और  , जो  भी  हो  हतोत्साहित  करे  ,

तब  ही  उसने  ये  तय  कर   लिया  था  ,

मुड़  कर  नहीं   देखना  है  !!

( संकलित  )

 

——-  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

 

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