मत ढो उसकी लाश !
वर्तमान में जिये जा ,
छू लेगा आकाश !
छू लेगा आकाश ,
समय जो आने वाला ,
कैसा होगा कौन ,
तुझे बतलाने वाला !
सुख– दुख मन के खेल ,
व्यर्थ मत करो फजीता ,
अब आगे की सोच ,
भूल जा, जो भी बीता !!
——– प्रसिद्ध कवि हुल्लड़ मुरादाबादी
( संकलित )
——— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !