ये इबादत है ज़िंदगी के लिए
इश्क़ दाना है , इश्क़ पानी है
इश्क़ साया है आदमी के लिए
ये किसी एक का नहीं यारो
ये इनायत है हर किसी के लिए
मेरा हर लफ्ज़ है अमन के लिए
मेरी हर साँस बंदगी के लिए
मैं हवा के खिलाफ़ चलता हूँ
सिर्फ इंसान की ख़ुशी के लिए
( संकलित )
——– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !