” दीपक पर परवाने आये “

दीपक  पर  परवाने  आये

 

अपने  पर  फड़काते  आये,

किरणों  पर  बलखाते   आये  ,

बड़ी  बड़ी  इच्छाएं   लाएं  , बड़ी— बड़ी   आशाएँ  लाये

दीपक  पर  परवाने   आये  !

 

जले  ज्वलित  आलिंगन   में  कुछ,

जले  अग्निमय  चुंबन  में  कुछ  ,

रहे  अधजले,  रहे  दूर  कुछ ,किंतु  न  वापस  जाने  पाए

दीपक  पर  परवाने  आये  !

 

पहुँच  गई  बिस्तुइया  सत्वर  ,

लिए  उदर  की  ज्वाल  भयंकर  ,

बचे  प्रणय  की ज्वाला से जो, उदर- ज्वाल के बीच समाये

दीपक  पर  परवाने  आये   !!

———-  प्रसिद्ध कवि  हरिवंश राय बच्चन

( संकलित  )

 

———-  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार  !

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