एक छोटी सी लड़की थी. उसका नाम था परी. वह बात– बात पर गुस्सा हो जाया करती थी . उसकी माँ उसे हमेशा समझाती रहती थी कि ‘ परी बेटा ‘ इतना गुस्सा करना अच्छी बात नहीं है. लेकिन फिर भी उसके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया . एक दिन परी अपना होम वर्क करने में व्यस्त थी. उसकी टेबल पर एक सुन्दर –सा फूलों से सजा पाट रखा था . तभी उसके छोटे भाई का हाथ उस पाट से टकराया और गिरने पर उसके कई टुकड़े हो गए .
अब क्या परी गुस्से से बौखला उठी. तभी वहाँ उसकी माँ ने आईना लाकर उसके सामने रख दिया. अब गुस्से से भरी परी ने अपनी शक्ल आईने में देखी, जो कि गुस्से में बहुत बुरी लग रही थी. अपना ऐसा बिगड़ा चेहरा देखते ही परी का गुस्सा छू– मंतर हो गया. तब उसकी माँ ने कहा, देखा परी ! गुस्से में तुम्हारी शक्ल आईने में कितनी बुरी लगती है, क्यों कि आईना कभी झूठ नहीं बोलता. अब परी को पता चल गया था कि गुस्सा करना कितना बुरा होता है . तभी से उसने गुस्सा न करने का वादा अपने आप से किया . इस छोटी सी कहानी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि हमें भी गुस्सा या क्रोध नहीं करना चाहिए और लोगों के साथ मृदुल व्यवहार से पेश आना चाहिए .
————- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !