” स्वर कोकिला लता मंगेशकर के लिए लिखी गई कविता “

ये गुलशन में बाद— ए– सबा  गा रही है

के पर्वत पे काली  घटा गा   रही   है

ये झरनों  ने  पैदा  किया    है     तरन्नुम

कि  नदियाँ  कोई  गीत  सा गा रही  हैं

ये  महिवाल  को  याद  करती  है  सोहनी

कि  मीरा  भजन  श्याम  का  गा  रही  हैं

मुझे  जाने  क्या क्या  गुमाँ   हो  रहे  हैं

नहीं  और  कोई  लता  गा  रही   हैं

यूँ  ही  काश  गाती  रहें  ये  हमेशा

दुआ  आज  खुद  ये  दुआ   गा  रही  है   !!

————-  फिल्मी गीतकार  ” आनंद बक्शी  ”

( संकलित  )

————-  राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !