तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है !
देखी मैंने बहुत दिनों तक,
दुनिया की रंगीनी,
किन्तु रही कोरी की कोरी,
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छुए बहुतों ने,
मन का तार न भीगा ,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है !
——— हरिवंशराय बच्चन
( संकलित )
——– रामकुमार दीक्षित , पत्रकार !