” गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में “

गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में

बुझे दिल की लगी भी तो ऐ यार होली  में   !

 

नहीं ये है गुलाले — सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे

ये आशिक की है उमड़ी आहें आतिशबार  होली में   !

 

गुलाबी गाल पर कुछ रँग मुझको भी जमाने दो

मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार  होली  में   !

 

है रंगत ज़ाफरानी रुख अबीरी कुमकुम कुछ है

बने  हो ख़ुद ही होली तुम ऐ दिलदार होली में  !

 

रस गर जामे– मय गैरों को देते हो तो मुझको भी

नशीली आँख दिखाकर करो सरशार्  होली  में   !

—————-   भारतेंदु हरिश्चंद्र

( संकलित  )

———— राम कुमार दीक्षित  ,  पत्रकार    !